Saturday, July 16, 2011

Red sanders king pin arrested


रायपुर चेन्नई एयरपोर्ट पर पकड़े गए अंतरराष्ट्रीय चंदन तस्कर शेखर विरैय्या के मणिपुर के आतंकवादी संगठन केवायकेएल (कांगलेई यमोल कन्ना लूप) से कारोबारी संबंध हैं। मणिपुर-बर्मा और तिब्बत के रास्ते विरैय्या सालों से लाल चंदन की लकड़ियां चीन भेज रहा था।

पुलिस को संदेह है कि अपने इसी ट्रांसपोर्ट चैनल का इस्तेमाल वह नक्सलियों और माफिया गिरोहों को बर्मा-मणिपुर या तिब्बत के रास्ते हथियार और कारतूसों की सप्लाई में भी कर रहा था। इस एंगल से शेखर से पूछताछ भी शुरू हो गई है।

रायपुर में मारा गया ट्रांसपोर्टर राजेश डागर और उसका भाई सत्येंद्र शेखर विरैय्या के लिए काम करते थे। राजेश चंदन की लकड़ियां अपनी ट्रकों में भरकर दिल्ली के रास्ते हिमाचलप्रदेश से मणिपुर तस्करी करता था। मणिपुर के सीमाई गांव मोरे बॉर्डर से लकड़ियों को सीमा पार बर्मा-चीन भेजने में उसे केवायकेएल की मदद मिलती थी। दिल्ली पुलिस के मुताबिक यह आतंकी संगठन हथियारों की सप्लाई में भी लिप्त रहा है। पिछले कुछ समय से मणिपुर में सेना ने अपना दबाव बढ़ाया है। इलाके में कूकी जनजाति के बढ़ते दबदबे ने शेखर के लिए कारोबार करना मुश्किल कर दिया था। इन हालात को देखते हुए गिरोह ने हिमाचलप्रदेश होते हुए तिब्बत के रास्ते चीन तक माल पहुंचाना शुरू कर दिया।

कल देर रात तक पुलिस शेखर से अलग-अलग एंगल से पूछताछ करती रही। विरैय्या की गिरफ्तारी को पुलिस बड़ी सफलता मान रही है। दिल्ली से ही आई वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो (डब्ल्यूएलसीसीबी) की टीम ने भी शुक्रवार को शेखर से घंटों पूछताछ की। उनके सवालों में भी आतंकी संगठन और नक्सलियों को हथियार सप्लाई से जुड़े मुद्दे शामिल थे।

विरैय्या ने क्यों करवाई राजेश की हत्या? :

राजेश डागर बेवजह रायपुर नहीं आया था। लाल चंदन की लकड़ियों का उसका ज्यादातर कारोबार कर्नाटक से था। पुलिस को शक है कि राजेश ने नक्सलियों से लिंक बना लिया था और अपने ट्रांसपोर्ट नेटवर्क के जरिये ही वह हथियारों की अवैध सप्लाई के धंधे में कूद पड़ा। इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) ने भी इस तरह की गतिविधियों के संकेत दिए थे। वह पहले विरैय्या के लिए काम करता था। राजेश और सत्येंद्र के आतंकी गुटों से सीधे संबंध थे। दिल्ली पुलिस के मुताबिक सत्येंद्र इसी आतंकी संगठन के लीडर थुआंग की हत्या का भी मुख्य आरोपी है। पुलिस की जांच कहती है कि राजेश का ट्रांसपोर्टिग को लेकर विरैय्या से विवाद हुआ। तभी विरैय्या ने सत्येंद्र से कहकर उसे मरवा डाला। हालांकि हत्या में अपना हाथ होने की बाद अब तक शेखर नहीं कबूल नहीं की है। लेकिन उसके खिलाफ पुलिस के पास साक्ष्य हैं।

सूत्रों के मुताबिक ऐसा माना जा रहा है कि राजेश नक्सलियों के लिए काम करने लगा था। इसी मामले में विरैय्या भी जुड़ा और चंदन व हथियारों की सप्लाई तस्करी को लेकर विवाद ही राजेश के मौत की वजह बनी होगी।

वीरप्पन के बाद दूसरा तस्कर


कर्नाटक और आंध्रप्रदेश के जंगल में आपरेट करने वाले तस्कर वीरप्पन के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद उस इलाके में विरैय्या ने कब्जा कर लिया था। विरैय्या तमिलनाडु और कर्नाटक के जंगलों में तस्करी करता था। वीरप्पन कर्नाटक व आंध्रा के जंगलों में रहकर लकड़ियां वहीं बेचता था, लेकिन विरैय्या का नेटवर्क विदेशों तक फैला हुआ है। दिल्ली की डब्लूएलसीसीबी टीम के पूछताछ में यह स्पष्ट हुआ है कि विरैय्या साउथ से हिमाचल-अरुणाचल प्रदेश के रास्ते बर्मा से चंदन चीन को सप्लाई करता था। इस काम में आतंकी संगठन केवॉयकेएल की भी प्रमुख भूमिका होती थी।

राजेश रायपुर में रहकर भारत के दक्षिण से चीन को चंदन की तस्करी करता था। विरैय्या से उसके विवाद की वजह भी स्पष्ट नहीं हुई है। पुलिस को शक है कि वह आतंकी संगठनों के माध्यम से नक्सलियों को होने वाली हथियार और गोलियों की सप्लाई की अहम कड़ी था। इसकी पड़ताल की जा रही है। दिल्ली की टीम भी कई बिंदुओं पर विरैय्या से पूछताछ कर रही है।
http://www.bhaskar.com/article/CHH-RAI-virayya-suspected-of-collusion-with-the-maoists-2267919.html?OF4=

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